संविधान(122 वां) संशोधन विधेयक - 2014
वस्तु कर एवं सेवाकर को लागू करने हेतु
केंद्र सरकार ने लोकसभा में 19 दिसंबर 2014 को वस्तु कर एवं सेवाकर
से संबंधित संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 पेश
संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 संविधान में नए अनुच्छेद 246A, 269A, अनुच्छेद 279A को शामिल करेगा और अनुच्छेद 268A को समाप्त कर देगा जो संविधान में 88 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा शामिल किया गया था.
यह संविधान संशोधन विधेयक संविधान की सातवीं अनुसूची में दी गयी संघ सूची से प्रविष्टि 92 और 92C और राज्य सूची से प्रविष्टि 52 और 55 समाप्त करेगा.
सरकार ने यह विधेयक देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष करों की एक जैसी प्रणाली को स्थापित करने के उद्देश्य से पेश किया है.
इसके अलावा इस विधेयक के द्वारा अनुच्छेद 248, 249, 250, 268, 269, 270, 271, 286, 366, 368 छठी अनुसूची और संघ सूची की प्रविष्टि 84 और संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में प्रविष्टि 54 और 62 को संशोधित करने का भी प्रावधान है.
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नयी प्रणाली से राज्यों को राजस्व का किसी प्रकार का घाटा नहीं होगा वास्तव में इससे राज्यों का राजस्व पहले से बढेगा.
इसे संसद से दो तिहाई बहुमत से पास कराना होगा. कम से कम इसका 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना जरूरी होगा
# अनुच्छेद 246A: प्रत्येक राज्य के विधानमंडल वस्तु कर एवं सेवाकर संबंधि त कानून को बना सकते हैं बशर्ते की वह कानून संसद द्वारा अनुच्छेद 246A(2) के तहत पारित किये गए किसी भी अधिनियम की अवहेलना नहीं करता हो.
# अनुच्छेद 246A (2): केवल संसद के पास यह अधिकार होगा की वह माल की आपूर्ति, या सेवाओं के अन्तर्राज्य व्यापार या वाणिज्य के विषय में वस्तु कर एवं सेवाकर संबंधित कानून को बना सकती है.
# अनुच्छेद 269A: अंतर-राज्यीय व्यापार के सन्दर्भ में माल की आपूर्ति और सेवाओं पर जो जीएसटी लगाया जायेगा उसको केवल केंद्र सरकार द्वारा ही एकत्र किया जायेगा किन्तु जीएसटी परिषद की सिफारिश पर विधि द्वारा तय किये गए ढंग से संघ और राज्यों के बीच इसे विभाजित किया जाएगा.
# अनुच्छेद 279A: यह विधेयक भारत के राष्ट्रपति को 122 संविधान संशोधन अधिनियम 2014 के प्रारंभ होने की साठ-दिनों के भीतर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद का गठन करने का अधिकार देता है.
विधेयक के मुख्य प्रावधान
• यह विधेयक माल और सेवाओं का समावेश और बहिष्करण पर सिफारिश करने के लिए एक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के गठन का प्रावधान करता है
• यह संघ सूची और राज्य सूची के दायरे में पेट्रोलियम कच्चे तेल, हाई स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट, प्राकृतिक गैस,विमानन टरबाइन ईंधन और तंबाकू और तंबाकू उत्पादों को लाता है.
• यह अंतर राज्य व्यापार के सन्दर्भ में माल की आपूर्ति पर एक प्रतिशत तक अतिरिक्त कर का प्रावधान करता है और दो साल की अवधि के लिए संघ द्वारा उसे एकत्र करने का प्रावधान करता है एवं फिर राज्यों में उसे विभाजित किया जाएगा.
• संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त आय को छोड़कर, माल की आपूर्ति से प्राप्त अतिरिक्त कर की शुद्ध आय, भारत की संचित निधि का हिस्सा नहीं बनेगी और जहाँ से उसे प्राप्त किया गया है उन्ही राज्यों में विभाजित कर दी जाएगी.
• यह जीएसटी परिषद की सिफारिश पर संसद द्वारा बनए गए कानून के अनुसार पांच साल की अवधि के लिए जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न होने वाले राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को मुआवजा उपलब्ध कराने का प्रावधान भी करता है.
• GST में सभी केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर, उपकर और केन्द्रीय बिक्री कर और राज्य वैल्यू एडेड टैक्स और सेल्स टैक्स स्वतः शामिल हो जायेंगे.
• संविधान संशोधन विधेयक संविधान के तहत विशेष महत्व के अंतर्गत घोषित माल की अवधारणा को प्रतिपादित करता है.
• जीएसटीके अंतर्गत मानव उपभोग के लिए मादक शराब को छोड़कर सभी वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया गया है.
• जहाँ तक पेट्रोलियम उत्पादों का प्रश्न है,इन वस्तुओं को GST के अधीन नहीं किया जाएगा जब तक कि इस सम्बन्ध में एक तारीख/दिन की अधिसूचना जीएसटी परिषद द्वारा सिफारिश नहीं की जाती.
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के बारे में
1. जीएसटी परिषद निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे
• केंद्रीय वित्त मंत्री: अध्यक्ष
• राजस्व या वित्त राज्य मंत्री: सदस्य
• वित्त कराधानराज्य मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित कोई अन्य मंत्री : सदस्य
• केंद्रीय वित्त मंत्री: अध्यक्ष
• राजस्व या वित्त राज्य मंत्री: सदस्य
• वित्त कराधानराज्य मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित कोई अन्य मंत्री : सदस्य
2. जीएसटी परिषद अपने ही सदस्यों में से किसी एक का परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में चयन कर सकती है.
3.जीएसटी परिषद के कार्य
• राज्यों एवं केंद्र सरकार से उन करों, उपकरों, और अधिभार को जीएसटी में सम्मिलित करने के लिए सिफारिश करना जो संघ, राज्य या स्थानीय निकायों द्वारा लगाए गए हैं
• उन वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी के अधीन करने के लिए,या उन पर छूट देने के लिए सिफारिश करना.
• सरकार को जीएसटी कानून,सिद्धांतों,एकीकृत जीएसटी के सन्दर्भ में आपूर्ति के मॉडल की सिफारिश करना
• जीएसटी की सीमा तय करना जिसके अंतर्गत वस्तुओं को इससे छूट प्रदान की जा सके.
• किसी भी प्राकृतिक आपदा या आपदा के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए एक निर्धारित अवधि के लिए कोई विशेष दर या दरों की सिफारिश करना.
• अरूणाचल प्रदेश, असम, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के संबंध में विशेष प्रावधानों की सिफारिश करना.
4. परिषद का प्रतियेक निर्णय कम से कम तीन-चौथाई बहुमत से लिया जाएगा.
(A) केंद्र सरकार का मतदान में हिस्सा कुल वोटों की संख्या के एक-तिहाई के बराबरहोगा.
(B) सब राज्य सरकारों का मतदान में हिस्सा कुल वोटों की संख्या के दो तिहाई के बराबर होगा.
5. जीएसटी परिषद के सदस्यों की कुल संख्या का आधा इसकी बैठक को बुलाने के लिए आवश्यक
होगा.
अधिनियमित होने के पश्चात् यह कर केन्द्र व राज्य सरकारों के विभिन्न अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा तथा पूरे देश को एक एकीकृत बाजार में यह परिवर्तित कर देगा। जीएसटी की संरचना दोहरी किस्म की होगी केन्द्र सरकार द्वारा लगाया जाने व वसूला जाने वाला कर तथा राज्य सरकार द्वारा लगाया व वसूले जाने वाला कर है, इसमें केन्द्र एंव राज्यों की सहमति से वस्तु एंव सेवा कर (जी0एस0टी0) लागू होगा।
जीएसटी को आजादी के बाद देश में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है।
वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के मामले में सबसे बड़ी बाधा राज्यों के संशयों को लेकर थी। राज्यों की आपत्ति इस बात को लेकर थी कि उनके द्वारा वसूले जाने वाले अनेक करों के वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) में समाहित हो जाने से उन्हें लगभग रू0 34000 करोड़ का नुकसान होगा।
इस मुद्दे को लेकर राज्यों के वित्त मंत्रीयों की अधिकार प्राप्त समिति के साथ केन्द्रीय वित्त मंत्री की कई बैठकें विगत महीनों में हुई हैं। राज्यों की सम्भावित हानियों के लिए पाॅच वर्ष तक क्षतिपर्ति का भुगतान करने को केन्द्र ने सहमति दी है।
यह क्षतिपूर्ति पहले तीन वर्षो तक 100 प्रतिशत, चैथे वर्ष 75 प्रतिशत व पाॅचवे वर्ष 50 प्रतिशत होगी।
नेशनल काॅउसिल आॅफ एप्लाइड इकोनाॅमिक रिसर्च ने इससे जीडीपी में 0.9 प्रतिशत से 1.7 प्रतिशत की वृद्वि का अनुमान व्यक्त किया है।
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