Tuesday, 19 July 2016

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महाराजा रामानुज प्रताप सिंह

 कोरिया रियासत के  राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव

परिचय

कोरिया रियासत के आखिरी महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव का जन्म वर्ष 1901 में हुआ था।
 उनके पिता का नाम शिवमंगल सिंहदेव और मां का नाम रानी नेपाल कुंवर था।
 1920 में छोटानागपुर की राजकुमारी दुर्गादेवी के साथ राजा की शादी हुई।
 रामानुज प्रताप सिंहदेव बचपन से ही काफी टैलेंटेड और देशभक्त थे।
रायपुर के राजकुमार कॉलेज से प्राइमरी एजुकेशन के बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया।
इलाहाबाद में ही वे मोतीलाल और जवाहरलाल नेहरू के कॉन्टैक्ट में आए थे।
रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1931 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधी के साथ हिस्सा लिया था।

उनके द्वारा करवाए गए कार्य

 शुरू किया मिड डे मिल
- आज देश के सरकारी स्कूलों में चल रहा मिड डे मिल का कॉन्सेप्ट काफी पहले महाराजा रामानुज प्रताप सिंह ने शुरू किया था।
- 1941 में कोरिया स्टेट में चल रहे स्कूलों में आठवीं क्लास तक के सभी बच्चों को दोपहर में गुड़-चना देने की शुरुआत की।
- महाराजा ने 1946 में रियासत के 64 शिक्षा संस्थानों में एडल्ट एजुकेशन की शुरुआत कराई। वह हर ऐसे संस्थान का साल में दो बार खुद इंस्पेक्शन करते थे।
- महाराजा ने कोरिया स्टेट के शहरी इलाकों में पांचवीं क्लास तक अनिवार्य शिक्षा लागू की थी।

शुरू कराई कोल माइनिंग


- महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव वक्त से काफी आगे सोचने वाले शख्स थे।
- उन्होंने रियासत के खरसिया और चिरमिरी में काफी कोशिश कर 1928 में कोल माइनिंग शुरू कराई।
मजदूरों को सही मजदूरी दिलाने के लिए स्टेट ने 1947 में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम पारित किया था।
आजादी के बाद 1948 में कोरिया स्टेट का विलय सेंट्रल प्रोविन्स एंड बरार में हुआ। 
6 अगस्त 1954 को राजा का भी निधन हो गया। उनके बेटे रामचंद्र सिंहदेव एमपी-छत्तीसगढ़ में मंत्री रह चुके हैं।

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